चंडीगढ़, 18 दिसंबर | पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने 55 किलो पोस्त की तस्करी की आरोपी महिला को गर्भावस्था के आधार पर जमानत दे दी है। हाई कोर्ट ने कहा कि गर्भावस्था एक विशेष परिस्थिति है और उस आधार पर जमानत देते समय अपराध की गंभीरता को कुछ समय के लिए नजरअंदाज किया जा सकता है।
याचिका दायर करते हुए महिला ने कहा कि उसके खिलाफ 2 जून को लुधियाना में एनडीपीएस एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। आरोप के मुताबिक याचिकाकर्ता को 55 किलो पोस्त के साथ पकड़ा गया था। याचिकाकर्ता की ओर से पूर्व में दायर जमानत याचिका खारिज हो चुकी है। कुछ समय पहले याचिकाकर्ता को पता चला कि वह गर्भवती है और इसलिए वह नहीं चाहती थी कि बच्चे का जन्म जेल में हो।
गर्भस्थ शिशु के लिए भी कष्टकारी
सभी पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने कहा कि हिरासत में बच्चे का जन्म न सिर्फ मां के लिए बल्कि बच्चे के जन्म के लिए भी कष्टकारी होता है, क्योंकि जब भी बच्चे से उसके जन्म के बारे में सवाल किया जाएगा तो उसकी मानसिकता बदल जाएगी।
एक महिला की गर्भावस्था एक विशेष स्थिति है जिसमें अपराध की गंभीरता को कुछ समय के लिए नजरअंदाज किया जा सकता है। गर्भवती महिला की जमानत पर निर्णय लेते समय उसके अजन्मे बच्चे के हित को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए, जिसके जेल में पैदा होने की उम्मीद नहीं होगी। ऐसे मामले में, जमानत से इनकार नहीं किया जाना चाहिए जब तक कि यह स्पष्ट न हो कि याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा होने में गंभीर खतरा है। इन टिप्पणियों के साथ हाई कोर्ट ने याचिका मंजूर कर ली और याचिकाकर्ता को जमानत दे दी।