Sunday, April 13, 2025
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कुत्ते के काटने पर बिजनसमैन ने निगम से मांगा 5 लाख मुआवजा, जानें पूरा मामला

जालंधर, 28 अगस्त | फतेहपुरा के रहने वाले सिटी के कारोबारी नवीन सोनी को 24 अगस्त को तड़के 4:45 पर पटेल चौक के पास आवारा कुत्तों ने टांग व पैर पर काट लिया। वे इंटीरियर डिजाइनिंग व वास्तु कंस्लटेंसी का काम करते हैं। इस मामले में मंगलवार को सोनी ने निगम कमिशनर गौतम जैन तथा हैल्थ अफसर श्रीकृष्ण को लीगल नोटिस भेजा है। उन्होंने पंजाब म्यूनिसिपल एक्ट 1976 के सैक्शन 80 सीपीसी के तहत नोटिस भेजा है। दरअसल जब विभागीय लापरवाही पर कोर्ट केस करना होता है तो इस उक्त सेक्शन के तहत 2 महीने पहले लीगल नोटिस देना होता है। सुनवाई न होने पर याची आगे अदालत में मामला रखता है।

नवीन कुमार सोनी ने बताया कि फतेहपुरा में मेरा घर (नं बी-4, 237) है मैं बाइक पर घर लौट रहा था बात 24 अगस्त की है। मैं सुबह 4:45 बजे इलाके में माता चिंतपूर्णी मंदिर और पप्पी स्वीटस के बीच था। वहां पर 4-5 आवारा कुत्ते थे। इनमें से एक कार पर बैठा था। जब वे गुजरने लगे तो कुत्तों ने हमला कर दिया। मुझे कई जगह पर काटा। मेरी बाइक का बैलेंस बिगड़ गया। मैन जैसे-तैसे करके अपना बचाव किया। पैर के अलावा उनके हाथ में भी गंभीर चोट लगी। कारोबार का नुक्सान हुआ। मानसिक पीड़ा हुई। कुत्तों के काटे हुए जख्म बहुत दुख रहे हैं। घर में मैं इकलौता कमाने वला हूं। मेरे बुजुर्ग पिता जी के घुटनों में दर्द रहता है। इनकी देखभाल मेरा जिम्मा है। परिवार में माता, पत्नी व 2 बच्चे हैं। अगर मुझे इससे भी गंभीर चोट लग जाती तो परिवार का भविष्य खतरे में आ जाता। हादसे से पत्नी दुखी है मैने अब सैर करना भी बंद कर दिया है।

नगर निगम पर केस करने से 2 महीने पहले नोटिस देना जरूरी

सिटी में टूटी सड़कों बंद, लाइटों, गंदगी आदि से नुक्सान पर नागरिकोंं को नगर अफसरों को आर्थिक नुक्सान की भरपाई की मांग वाला लीगल नोटिस भएजने का अधिकार है। नोटिस के 2 महीने के अंदर भी सुनवाई न होने पर अफसरों को नुक्सान की भरपाई की मांग वाला लीगल नोटिस दिया जा सकता है। इसलिए 60 दिन के अंदर सोनी ने नोटिस में 5 लाख का मुआवजा मांगा है। जब तक ये नहीं मिल जाता इस रकम पर वाषिर्क 18 फीसदी ब्याज भी मांगा है। लीगल नोटिस में आवारा कुत्तों की दिक्कत दूर न करने पर उक्त दोनों अफसरों पर ड्यूटी में विफलता के आरोप लगाए हैं। यह भी कहा गया है कि आवारा कुत्तों की शिकायतें सुनीं नहीं जाती।

 

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