Tuesday, October 14, 2025
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दिल्ली पब्लिक स्कूल जालंधर में लेखिका श्रीमती स्वप्निल पाण्डेय की ‘विंग्स ऑफ़ वैलर’ का पुस्तक अनावरण समारोह

दिल्ली पब्लिक स्कूल जालंधर में 13 अक्तूबर 2025 को एक गरिमामय वातावरण में लेखिका स्वप्निल पांडेय की नई पुस्तक ‘विंग्स ऑफ़ वैलर’ का अनावरण समारोह अत्यंत उत्साह और सौहार्द के साथ आयोजित किया गया। यह आयोजन भारतीय वायुसेना के साहस, समर्पण और बलिदान की कहानियों को सम्मानपूर्वक प्रस्तुत करने का एक प्रेरणादायक प्रयास रहा।
इस सुअवसर पर मेजर जनरल आशीष भारद्वाज और श्रीमती कविता भारद्वाज, एयर कमोडोर ब्रिजेश पॉल, वायु सेना मेडल, वायु अफ़सर कमान और डॉक्टर कंचन पॉल, लेखिका श्रीमती स्वप्निल पांडेय, विद्यालय के प्रो. वाइस चेयरमैन ठाकुर अरुण सिंह और श्रीमती वसुधा ठाकुर, श्रीमती गुरजोत कौर (दिल्ली पब्लिक स्कूल सोसाइटी की मैनेजिंग कमेटी की सदस्या), कर्नल ए. के. मैनी, डॉक्टर सुनील शर्मा और डॉक्टर डिंपल शर्मा, श्री इरविन खन्ना (मुख्य संपादक, दैनिक उत्तम हिन्दू), प्रेरक वक्ता श्री सुरेन्द्र सेठ, वरिष्ठ लेखक प्रोफ़ेसर जगदीश चंद्र जोशी, श्रीमान और श्रीमती परमजीत सिंह (ए. आई. आर. कार्यक्रम प्रमुख), श्रीमती रौनिता चोपड़ा (डायरेक्टर एवरग्रीन पब्लिकेशन), कर्नल अश्विनी शर्मा, श्रीमान और श्रीमती इंदरजीत सिंह पेंटल (लेखक), श्री ज़ोरावर सिंह (प्रधानाचार्य, केम्ब्रिज इंटरनेश्नल स्कूल फगवाड़ा), श्रीमती मधु पराशर (पूर्व प्रधानाचार्या, देव समाज कॉलेज), डॉक्टर अंशुमन वर्मा, श्रीमती अंजलीन उप्पल (लाइफ़ कोच), डायरेक्टर श्री विनोद शर्मा और प्रधानाचार्या श्रीमती ऋतु कौल उपस्थित थे।
कार्यक्रम का शुभारंभ श्लोक पाठ एवं दीप प्रज्वलन से हुआ, जिसके पश्चात् अतिथियों को नवांकुरित पौधे भेंट किए गए। विद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत ‘वायुसेना गान’ से समारोह की एक भावपूर्ण और ऊर्जावान शुरुआत हुई।
इसके बाद विद्यालय के प्रो वाइस चेयरमैन ठाकुर अरुण सिंह जी द्वारा स्वागत संबोधन प्रस्तुत किया गया, जिसमें उन्होंने सभी गणमान्य अतिथियों तथा अभिभावकों का स्वागत किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि इस समारोह के आयोजन का उद्देश्य छात्रों में देश-प्रेम की भावना जागृत करना तथा उन्हें वायु-सेना के वीरों की सच्ची घटनाओं से अवगत करना है। उन्होंने कहा कि भारत विश्व गुरू तभी बन सकता है जब हमारे विद्यार्थी पूरी सत्यनिष्ठा से कार्य करें और हर परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहें। उन्होंने विद्यार्थियों को भारतीय सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित किया।
मेजर जनरल आशीष भारद्वाज ने कहा, “जब तक आपमें शक्ति नहीं है, तब तक आप शांति का अनुभव नहीं कर सकते। यदि आप हिंसा करने में सक्षम नहीं हैं, तो आप शांत नहीं, बल्कि असहाय हैं। वास्तविक शांति तब होती है जब आपके पास शक्ति होती है, परंतु आप उसका प्रयोग न करने का निर्णय लेते हैं।”उन्होंने वास्तविक और फिल्मी नायकों के बीच के अंतर पर प्रकाश डालते हुए कहा कि असली नायकों पर अक्सर फिल्में नहीं बनतीं, बल्कि उनकी जीवन गाथाएँ जीवनी के रूप में अमर होती हैं। समर्पण के महत्व पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि व्यक्ति जो भी कार्य करे, उसे पूरे जुनून और निष्ठा के साथ करना चाहिए, क्योंकि भाग्यशाली वे होते हैं जो अपने जुनून को ही अपना पेशा बना पाते हैं।
एयर कमोडोर ब्रिजेश पॉल ने कहा कि जिन वीरों के द्वारा युद्ध जीते जाते हैं, वे गुमनामी के अँधेरे में खो जाते हैं और उनकी कहानियाँ स्वप्निल पांडेय जैसे समर्पित लेखकों द्वारा सामने लाई जाती हैं। उन्होंने विद्यालय प्रबंधन को इतने सार्थक आयोजन के लिए धन्यवाद दिया और इसे विद्यार्थियों के लिए प्रेरणास्रोत बताया। साथ ही, उन्होंने विद्यार्थियों को भविष्य में वायुसेना में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने प्रो वाइस चेयरमैन को स्मृति-चिह्न भेंट किया।
इसके पश्चात् समारोह के मुख्य आकर्षण — पुस्तक अनावरण के दौरान पूरा सभागार तालियों से गूँज उठा।
लेखिका स्वप्निल पांडेय ने अपने संबोधन में पुस्तक की प्रेरणा, अनुसंधान यात्रा और भारतीय वायुसेना के अदम्य जज़्बे के बारे में अपने विचार साझा किए। उन्होंने आज के डिजिटल युग में पढ़ने की आवश्यकता और हमारे सैनिकों की कहानियों को जानने व उनका सम्मान करने के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने वायुसेना अधिकारियों से अपने संवादों के अनुभव साझा किए, जिनमें उनकी वीरता और समर्पण को उन्होंने पुस्तक में जीवंत रूप में प्रस्तुत किया है। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रतिदिन लिखने, समझदारी से निर्णय लेने और ईमानदारी से जीवन जीने के लिए प्रेरित किया। साथ ही, उन्होंने दया, देशभक्ति और जुनून से भरे जीवन का संदेश दिया। उनके सम्बोधन के अंत में विद्यार्थियों ने इन मूल्यों को जीवन में अपनाने की शपथ ली।
इसके बाद एक विचारोत्तेजक पैनल चर्चा आयोजित की गई, जिसमें लेखक इंद्रजीत पेंटल और विद्यार्थियों ने स्वप्निल पांडेय जी से प्रश्न पूछे। इस चर्चा से उनके कॉरपोरेट दुनिया से एक सफल लेखिका बनने तक के सफर की जानकारी मिली जो वास्तव में अनुकरणीय है। उन्होंने रक्षा-बलों की कहानियाँ लिखने में आई चुनौतियों और विंग्स ऑफ वैलर के लिए कहानियाँ चुनने की प्रक्रिया से अवगत कराया। युवा लेखकों के लिए दिए गए उनके सुझाव और पुस्तक का संदेश सभी के लिए बेहद प्रेरणादायक रहा। चर्चा के पश्चात् उन्होंने दो प्रतिभाशाली छात्रों को उपहार देकर सम्मानित किया।
उत्तम हिन्दू के मुख्य संपादक इरविन खन्ना ने पुस्तकों के शाश्वत महत्व पर बल देते हुए कहा कि शिक्षा में रामायण और महाभारत जैसे ग्रंथों को शामिल किया जाना चाहिए ताकि हमारी सांस्कृतिक जड़ें सुरक्षित रहें। उन्होंने सशस्त्र बलों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की, विचारशील बोलचाल की आवश्यकता पर बल दिया और विद्यालय को सफल आयोजन के लिए बधाई दी।
सुरेन्द्र सेठ ने ‘विंग्स ऑफ़ वैलर’ को भारत के सशस्त्र बलों की वीरता को समर्पित एक अद्भुत कृति बताया। उन्होंने इसे राष्ट्रीय गौरव और बलिदान का प्रतीक कहा तथा युवाओं से आह्वान किया कि वे ऐसी प्रेरणादायक कहानियों से प्रेरणा लें, जो भारत की समृद्ध विरासत और उज्ज्वल भविष्य से जुड़ी हैं।
प्रो. जगदीश चंद्र जोशी ने अपने संबोधन में शांति, साहस और ज़िम्मेदारी के महत्व पर ज़ोर दिया। उन्होंने सबको निडर होकर जीवन जीने और समाज के प्रति अपना दायित्व निभाने की प्रेरणा दी। वसुधैव कुटुम्बकम् का उल्लेख करते हुए उन्होंने मानवता और देशभक्ति के भाव से एकजुट होकर वैश्विक चुनौतियों का सामना करने का संदेश दिया।
इसके बाद अतिथियों को विद्यालय के उभरते लेखकों की रचनाओं की विशेष प्रदर्शनी का अवलोकन करने के लिए आमंत्रित किया गया। कार्यक्रम में विद्यार्थियों को स्वप्निल पाण्डेय जी की पुस्तक पर उनके हस्ताक्षर करवाने का सुअवसर प्राप्त हुआ जिससे वे व्यक्तिगत रूप से प्रोत्साहित हुए।
कार्यक्रम का समापन राष्ट्र गान के साथ हुआ, जिसने सभी के हृदयों में देशभक्ति की भावना को और प्रबल किया।
यह आयोजन न केवल साहित्य और सृजनशीलता का उत्सव था, बल्कि देश के वीरों को समर्पित एक भावपूर्ण श्रद्धांजलि भी था।

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